ABS BRAKING SYSTEM

अब ABS Breaks System बचाएगी लोगो की Life

1920 में फ्रांसीसी  वोइसिन ने ऑटोमोबाइल और एयरक्राफ्ट के उन प्रणालियों के साथ प्रयोग किया जो टायर स्लिपेज के जोखिम को कम करने के लिए जिम्मेदार थे।पहली पेटेंट प्रणाली जर्मन इंजीनियर कार्ल वेसल द्वारा 
1928 में बनाई गई थी। हालांकि, वेस्सेल ने कभी भी एक कामकाजी उत्पाद विकसित नहीं किया |1950 के दशक के आरंभ तक, डनलॉप मैक्सेट एंटी-स्किड सिस्टम यूके में व्यापक विमान उपयोग में था | बर्फीले या गीले परिस्थितियों में 30% तक ब्रेकिंग दूरी को कम करने और टायर की  रगड़ में कमी  हुई, और एंटी-स्किड सिस्टम ने विमानों में उड़ान भरने से रोकने वाली स्थितियों में टेक -ऑफ और लैंडिंग की अनुमति देने का अतिरिक्त लाभ था।

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1958 में, मैक्सेट एंटी-लॉक ब्रेक का परीक्षण करने के लिए रोड रिसर्च लेबोरेटरी द्वारा रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल का उपयोग किया गया था। प्रयोगों से पता चला है कि एंटी-लॉक ब्रेक मोटरसाइकिलों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, जिसके लिए दुर्घटनाओं के उच्च अनुपात में स्किडिंग शामिल है। लॉक व्हील ब्रेकिंग की तुलना में अधिकांश परीक्षणों में रुकने की दूरी कम हो गई, खासतौर पर फिसलन  वाली सतहों पर, जिसमें सुधार 30 प्रतिशत तक हो गया । उस समय एनफील्ड के तकनीकी निदेशक टोनी विल्सन-जोन्स ने सिस्टम में थोड़ा भविष्य देखा, और इसे कंपनी द्वारा उत्पादन में नहीं रखा गया।1960 के दशक के अंत में कॉनकॉर्ड एयरक्राफ्ट के लिए पहली पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक एंटी लॉक सिस्टम विकसित किया गया था।

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 ABS को anti-lock braking system or anti-skid braking system के नाम से जाना जाता है | ABS का purpose vehicle ki safe driving को ensure करने के साथ साथ better control maintain करना ऐवम dry and slippery surface पर stopping distances को decreases करना है | ABS की ख़ास बात है की ये अचानक break लगने पर driver input के अनुसार vehicle के wheels को road surface से फुल  contact बनाये रखने मे help करता है | यह wheels को lock (ceasing rotation) होने से prevent करता है व् uncontrolled skidding को भी avoid करता है | 

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 अब ABS को car मे लगाया जाने लगा और आज की date मे ये system इतना popular है की हर नयी car और bikes मे यह system mil जाएगा | पर फिर भी आज इंडिया की बोहोत सी bikes और cars की कीमते कम करने के लिए कंपनी इस सेफ्टी device नही लगा कर हमारी और आपकी जान को कोई अहमीयत नही देती ,हो सकता ही आगे चल कर गोवेरमेंट इसे लगाना अनिवार्य कर दे पर अभी एसा कोई रूल नही है |


ABS कैसे काम करता है : Anti-lock Brake सिस्टम लॉकिंग को डिटेक्ट करने के लिए हर व्हील की स्पीड को मॉनिटर करता रहता है ऐवम जैसे ही इसको sudden ब्रैकिंग डिटेक्ट होती है तो ये vehicle के hydraulic system को pressurizes करता है ऐवम फलस्वरूप brake pads discs के against squeeze करते है जिससे car slow down हो जाती है | अगर ABS system को लगता है की एक wheel बाकि के wheels की तुलना मे ज्यादा तेज slow down हो रहा है तो यह automatically hydraulic system के pressure release valve को open करके इस wheel पर brake pressure को reduces कर देता है | ABS मे ये ability भी होती है की वापस से hydraulic motor के द्वारा pressure build किया जा सके | यह system बहुत fast react करता है ऐवम यह process per second मे बहुत बार repeat होता है जिससे गाड़ी balance maintain करते हुए stop हो जाती है | 

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कितने TYPE के है -

ये ABS ,CBS दो प्रकार के जाने जाते है |  
1 . ABS -Anti-lock braking system or anti-skid braking system ये आर्टिकल इसी ब्रेक पर है | 
2 . CBS - इसका पेटेंट होंडा के पास है, हौंडा की कॉम्बी ब्रेक सिस्टम (CBS) के बारें में तो हम सबने सुना ही होगा | आप अपनी बाइक और स्कूटर में कॉम्बी ब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल करती है। होंडा के आधुनिक कॉम्बी ब्रेक सिस्टम में इक्विलाइजर लेफ्ट लीवर दबाते ही ये  ब्रेकिंग फोर्स को आगे और पीछे के व्हील में बराबर बांट देता है। जिससे ब्रेकिंग की दूरी कम हो जाती है और संतुलन बेहतर हो जाता है। 

With ABS and without ABS - आपने अगर ये सुना है की Without ABS आपकी कार ज्यादा जल्दी स्लो हो जाती है तो इसमे कुछ सच्चाई लगती है लेकिन in practical terms ABS का फायदा longer braking डिसटेन्सेस मे देखने को मिलता है | सड़क पर गाड़ी चलते समय ABS बहुत जरुरी है क्योकि रास्ते मे आये अचानक किसी चीज से टकराने की बजाये यह आपको गाड़ी का बैलेंस बनाये रखते हुए ब्रेक लगाने मे हेल्प करता है जबकि without ABS ये देखा गया है की इस तरह की कंडीशन मे गाडी सामने आयी चीज से टकरा सकती है|
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ABS system मे निचे दिए गए कंपोनेंट्स होते है –

1. कुछ wheel स्पीड सेंसर्स
2. ब्रेक calipers
3. hydraulic मोटर
4. कुछ प्रेशर release वाल्वस
5. Control module जो की पुरे प्रोसेस से coordinates करता है