क्या है eSIM (embedded sim) और कैसे करता है काम? नए iPhone में मिलेगा ऑप्शन esim technology -

ऐपल ने पहली बार डुअल सिम सपोर्ट वाला iPhone लॉन्च किया है.नए  iPhone eSIM सपोर्ट वाला वेरिएंट लॉन्च होगा. ऐपल के लिए ई-सिम का कॉन्सेप्ट नया नहीं है, क्योंकि पिछले साल कंपनी ने Apple Watch Series 3 सेल्यूलर एडिशन में भी ई-सिम सपोर्ट दिया था.

Airtel और Jio के साथ पार्टनर्शिप -

ऐपल ने इन आईफोन में ई-सिम देने के लिए भारतीय टेलीकॉम कंपनी एयरटेल और जियो के साथ पार्टनर्शिप की है. ये टेलीकॉम कंपनियां आईफोन के नए मॉडल्स में पहले से ही सिम इंस्टॉल करके देंगे जिसे आप निकाल नहीं सकते हैं, क्योंकि ये फोन का हिस्सा होंगे.

क्या है eSIM (embedded sim) और कैसे करता है काम? नए iPhone में मिलेगा आॅप्शन esim technology


इसके अलावा आप एक दूसरा सिम लगा सकेंगे यानी आप दो नंबर यूज कर पाएंगे. अगर आप चाहें तो ई-सिम का नेटवर्क भी बदल सकते हैं और इसके लिए आपको वो सिम निकालने की भी जरूरत नहीं होगी. यानी अगर आपने एयरटेल ई-सिम वाला आईफोन खरीदा है और आपको जियो ई-सिम चाहिए तो ऐसा आप कर सकते हैं.


ई-सिम मोबाइल में लगने वाला एक वर्चुअल सिम होता है. ई-सिम (eSIM) का मतलब इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल होता है.

क्या है eSIM (embedded sim) और कैसे करता है काम? नए iPhone में मिलेगा आॅप्शन esim technology

eSIM की क्या है खासियत -

दोनों एक ही काम करते हैं. लेकिन आम फिजिकल सिम के मुकाबले ई-सिम ज्यादा एफिशिएंट माना जाता है. इसके अलावा आपको एक सिम लेकर भी चलने की जरूरत नहीं होगी. ई-सिम से भी आप दो कंपनियों के अलग अलग डेटा पैक यूज कर सकते हैं, कॉलिंग प्लान यूज कर सकते हैं और दो नंबर रख सकते हैं.

एक नंबर पर कॉल आने पर दूसरा नंबर व्यस्त बताएगा. हालांकि एक समय में किसी भी नंबर पर कॉल आ सकती है. आईफोन एक बार में सिर्फ एक सेल्यूलर डेटा नेटवर्क यूज करता है, क्योंकि इसमें डुअल सिम डुअल स्टैंडबाइ फीचर दिया गया है. कुछ डुअल सिम स्मार्टफोन में डुअल सिम डुअल ऐक्टिव सपोर्ट दिया जाता है इसलिए वो एक बार में दो नेटवर्क यूज कर सकते हैं.

ई-सिम मोबाइल में लगने वाला एक वर्चुअल सिम होता है. ई-सिम (eSIM) का मतलब इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल है. ई-सिम को फोन में लगाने की जरूरत नहीं होती है. ई-सिम के जरिए फिजिकल सिम के सभी सर्विस का फायदा लिया जा सकता है. यह एक तरह का चिप होता है जो सिम कार्ड की तरह ही काम करता है.

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ई-सिम, फोन में या किसी डिवाइस में पहले से ही इंस्टॉल्ड रहते हैं मतलब ई-सिम को आप निकाल नहीं सकते. साथ ही इसे आप सभी डिवाइस में नहीं लगा सकते. सिम को टेलीकॉम कंपनियां एक्टिव करती हैं. इसकी खासियत यह है कि ऑपरेटर बदलने पर आपको सिम कार्ड नहीं बदलना पड़ता है. इसके अलावा स्मार्टफोन में सिम कार्ड स्लॉट की भी जरूरत नहीं होती है.

कोई सब्सक्राइबर यदि अपना टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर मतलब सिम बदलकर दूसरी सिम खरीदना चाहता है तो इसके लिए दूसरी सिम नहीं खरीदनी होगी बल्कि उसके मोबाइल फोन में इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (eSIM) डाल दी जाएगी और ई-सिम को अपडेट कर दिया जाएगा.

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मई 2018 में भारत सरकार ने ई-सिम को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे. सरकार के निर्देश मुताबिक, हरेक मोबाइल यूजर अधिकतम 18 सिम का इस्तेमाल कर सकता है. जिसमें मोबाइल फोन के लिए नौ सिम और 9 मशीन-टू-मशीन सिम मिलाकर कुल 18 सिम के इस्तेमाल की इजाजत दी है. मतलब एक यूजर को अधिकतम 18 सिम कार्ड ही इश्यू किया जा सकता है.

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ई-सिम इस्तेमाल करने से आपकी स्मार्टफोन बैटरी लाइफ बढ़ जाएगी. सॉफ्टवेयर के जरिए काम करने वाले ई-सिम में फिजिकल सिम की अपेक्षा में स्मार्टफोन के बैटरी की खपत कम होगी. भारत में फिलहाल एयरटेल और जियो के पास ही ई-सिम उपलब्ध है.